सारी जिन्दगी निकल जाती है , या तो कोई ये सवाल पूछता नहीं है
और अगर पूछता भी है तो सारी उम्र लग जाती है जवाब ढूडने में
मै क्यों जिए जा रहा
मैं सांस लिए जा रहा
क्यों बेवजह ही मैं यहाँ
जिन्दगी बिता रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
जन्म क्यों हुआ मेरा
और लक्ष्य क्या है मेरा
बिन मंजिल के सफ़र पे मैं
क्यों बढा जा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
जिन्दगी मशीन सी
है हुई जा रही
आइने के शख्स की
पहचान ही न रही
एकांत में यही प्रश्न
है मुझे अब खा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
और जिनको जवाब मिल जाता है, वो किसी को समझा नहीं सकते .....
और अगर पूछता भी है तो सारी उम्र लग जाती है जवाब ढूडने में
मै क्यों जिए जा रहा
मैं सांस लिए जा रहा
क्यों बेवजह ही मैं यहाँ
जिन्दगी बिता रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
जन्म क्यों हुआ मेरा
और लक्ष्य क्या है मेरा
बिन मंजिल के सफ़र पे मैं
क्यों बढा जा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
जिन्दगी मशीन सी
है हुई जा रही
आइने के शख्स की
पहचान ही न रही
एकांत में यही प्रश्न
है मुझे अब खा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ
और जिनको जवाब मिल जाता है, वो किसी को समझा नहीं सकते .....
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