Thursday, 25 September 2014

WOH

१   खुद अपने आप से बात कर लेते हैं
      इसी बहाने उससे मुलाकात कर लेते हैं 

२   रोशनी को खुद के अंदर बुला लिया 
      कुछ देर ही सही, उसका मंजर तो पा लिया 

३   उसके गीत तभी देते है सुनाई 
     जब मैं खुद से भी बात नहीं करता 


Monday, 22 September 2014

एक रात अकेली सी

रात में हम अकेले गुनगुना रहे
 तुम हो ख़यालो में ,याद बहुत आ रहे

 ठंडी हवा छेड़ रही कानो में कोई धुन
मेरे दिल की आवाज़ को अपने दिल से सुन
तेरे ख़याल गीत बनके मेरे दिल से हैं आ रहे
रात में …

ये रात अकेली है ,और हम भी है अकेले
आँखों में तेरा अक्स है ,होंठो पे गीत तेरे
इस रूठे हुए दिल को फ़रियाद कर मना  रहे
रात  में   ...

Saturday, 13 July 2013

मैं कौन हूँ

  सारी  जिन्दगी निकल जाती है , या तो कोई ये सवाल पूछता नहीं है
और अगर पूछता भी है तो  सारी उम्र  लग जाती है जवाब ढूडने में

मै क्यों जिए जा रहा
मैं सांस लिए जा रहा
क्यों बेवजह ही मैं यहाँ
जिन्दगी बिता रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ

जन्म क्यों हुआ मेरा
और लक्ष्य क्या है मेरा
बिन मंजिल के सफ़र पे मैं
क्यों बढा जा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ

जिन्दगी मशीन सी
 है हुई जा रही
आइने के शख्स की
पहचान ही न रही
एकांत में यही प्रश्न
है  मुझे अब खा रहा
मैं कौन हूँ,मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ



और  जिनको जवाब  मिल जाता है, वो किसी को समझा नहीं सकते .....
 

Sunday, 7 April 2013

दिल चाहता है

जल  का अनल का ,न किसी महल  का
मुझे चाहिए बस प्यार दो पल का
ईश वंदना के लिए श्रद्धा से जो तुम लाये
ग्रास मुझे दे दो बस उस नारियल का

मेह का मम कम है नेह की नमी से
हो गया दिल बंजर देखो नेह की कमी से
तो नेह के मह जो खुद ताप के है देता
जल मुझे दे दो भैया उस सागर का

गुण को गुनो चाहे चर का अचर का
बन तू सुधाधर, मत विषधर सा
पर पे जो मर के अमर  हो जाए भाई
मुझे भी बना दो प्रभु उस गुणधर सा

मन दर्पण में जो  दिख जाएँ  भगवन
कर मन अर्पण , उनको तत्क्षण
अर्पण मन दर्पण कर तत्क्षण
कर जीवंत हर पल जीवन का


 

Wednesday, 20 March 2013

Aaj ka Vichar

आँख दे ऐ खुदा ,जो देखे सब में देखे भला ॥
कर सकू मैं माफ़ और दिल में प्यार हो भरा ॥

दीनदयाल ने दिया तुझे,बाँट  दीन  के साथ ॥
 अंतर्मन पुलकित रहे,बरकत हो दिन रात ॥


 

Sunday, 17 March 2013

पांच पाप


हिंसा
तन से न आघात दे ,वचन से न दे पीर ॥
मन से हिंसा त्याग दे,वचन कहें महावीर ॥

झूठ
झूठ  सदा बोलत रहे  ,सच्ची बात छुपाय  ॥
तू पहले सच बोल दे,कोई और न कह जाय ॥

चोरी
चोरी करके बाबरा ,पर धन जितना खाए ॥
उसका बंधू कई गुना , घाटे में चुक जाए ॥

कुशील
देख पराई  नार को,मन न होय मलीन ॥
दीप शील का जला रहे,कृपा करो महावीर ॥

परिग्रह 
भले जरुरत न रही,फिर भी हैं ले आय ॥
रे परिग्रही बाबरे ,काम सभी न आय ॥
 

Wednesday, 13 March 2013

Being Unique

जग में लोग अनेक है , हर में है गुण दोष ॥
तुलना करना व्यर्थ है, खुद से कर संतोष ॥

गाँधी न थे भगत  सम ,कान्हा न सम राम ॥
कोई किसी के सम नहीं ,सबकी अपनी पहचान ॥

मोल करे न खुद का जब तक  ,मोल करें न और ॥
मोल जो खुद का कर लिया,हर कोई लेवे ठौर ॥

देख पराये सफ़र को,मन  तू क्यों घबराय  ॥
सफ़र तेरा कुछ और है,अलग  तेरी है  राह ॥

राम तुम्हारी दुनिया में,भांति भांति के  लोग ॥
दो बराबर मिल गए ,गजब कहूँ संजोग ॥